अनुप्रिया हिन्दी कविता की वह आवाज़ हैं जो मूलत: अपने शब्द चित्रों की वजह से पहचानी जाती हैं, यह पहचान एक कलाकार की वह पहचान है जो अपने भावपूर्ण चित्रों से स्त्री विमर्श के कुछ नये मानक स्थापित करते हैं।आपके चित्र स्त्री जीवन के महाकाव्य लिखते हैं,श्वेत -श्याम इन चित्रों की मूल ध्वनि स्त्री चेतना है।गोद में बच्चा लिए एक औरत किताब पढ़ रही है,सीढ़ियों के सहारे चाँद की खूँटी पर अपने सपने टाँग आती है तो कभी वहीँ किताब ले बैठ जाती है पढ़ने ।
मुक्तिबोध ने शायरों के चाँद के मुँह को टेढ़ा कहा तो यथार्थवादी कवियों ने चाँद को रोटी की उपमा दी,अनुप्रिया के लिए चाँद कभी खूँटी है तो कभी स्त्री के बैठकर पढ़ने का एकान्त। अनुप्रिया मन से कवि हैं,उनकी रोज़ी श्रृंखला कविता में एक स्त्री के चेतना के स्तर,संघर्ष और संत्रास को बख़ूबी देखा जा सकता है।चूंकी बात कविता की हो रही है तो चित्रों पर आगे बात करेंगे।मन से कवि और हाथ से शिल्पी अनुप्रिया की कविताओं में स्त्री जीवन के विविध पक्ष खुलकर आते हैं।
1.
रोजी सपने देखती है..
रोज़ी सपने देखती है
सपने में भी देखती है खुद को सपने देखते
और मुस्कुराती है नींद भर
उघड़ी हुई दीवार देखकर
गिनती है ईंट
चौंतीस,पैंतीस,छत्तीस....
फिर अपनी ऊँगली पर गिनती है
अपनी उम्र
अड़तीस...
नींद खुलती है
पाँच बजकर उनचालीस पर
और उम्र आकर रुक जाती है
चालीस पर।
2.
रोजी पहचानती है सबको..
रोज़ी के चेहरे पर कोई चेहरा नहीं है
वह मेरा चेहरा हो सकती है
तुम्हारा भी
या हम सबके चेहरे को संभाल लेती है
एक अकेली रोज़ी।
3.
रोजी के किस्से...
रोज़ी के किस्सों में हम सबके किस्से हैं
रोज़ी के माथे पर उग आया
नीला निशान
हम सबके हिस्से का है
उसकी पीठ पर चिपके अश्लील इशारे
हम सबके हिस्से के हैं
रोज़ी नम आंखों से
फिर भी मुस्कुराती हुई देखती है सपने
उसे देखने हैं हम सबके हिस्से के सपने
रोज़ी के भीतर हम सब जीते हैं
थोड़ा -थोड़ा।
4.
रोजी को पता है..
रोज़ी को अलाउड नहीं है सपने देखना
रोज़ी सबकी नजरें बचाकर छिप जाती है
अपने ही भीतर
उसे खूब पता है
छुपन -छुपाई खेलना
अपने आप से ही।
5
रोजी हर घर में है..
.रोज़ी हर घर में है
हर खिड़की पर
हर दरवाजे पर
बस हम देखना नहीं चाहते
कि हर आँख में गुलाब से सपने महक उठते हैं
रोज़ी को उसके हिस्से के सपने देखने दो
देखने दो रोज़ी कोई
उसके हिस्से के महकते गुलाब!
गोद में अपने नन्हें बच्चे को दुलारती अनुप्रिया
स्त्रीमन के आईने सरीखी बेहतरीन कविताएं
जवाब देंहटाएंअपने मान -सम्मान के लिए हर स्त्री के संघर्ष और कशमकश को अभिव्यक्त करती खूबसूरत कविताएं 😊🌷
जवाब देंहटाएंयथार्थ परक गहन विमर्श की कविताएं। आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविताएँ! सार्थक टिप्पणी
जवाब देंहटाएंअनुप्रिया के भीतर एक भावुक स्त्री रहती है जो चाहे शब्द हों या रंग की कूंची सुंदरता ही प्रस्तुत होती है। बधाई 💐💐
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चित्रकार का कवि रूप भी बहुत पसंद आया। बेहतरीन कविताएँ ।
जवाब देंहटाएंउम्र आ कर रुकी है चालीस पर !
जवाब देंहटाएंरोज़ी को सपने देखना अलॉउड नहीं उफ़ कैसा चुभता है ये !
बहुत सुंदर कविताएँ और उनके चित्र तो अनमोल हैं ही
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