रविवार, 14 सितंबर 2014

मम्मी, मम्मी... 'वोट' कहाँ डालोगी???
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'माधवी' का चार साल का नन्हा बेटा 'कान्हा' सुबह से ही माँ के पीछे पड़ा था कि--- मम्मी, आप 'वोट' डालने कब जाओगी? मुझे जरुर ले चलना... मैं भी आपके साथ जाऊँगा... वो उसकी इस जिद से परेशान हो चुकी थी... बहुत सोच विचार कर भी समझ नहीं पा रही थी कि उसकी उत्सुकता के पीछे आखिर वजह क्या हैं? जब से उसने सुना था कि उसके माता-पिता 'वोट' डालने जाने वाले हैं वो नादान ना जाने क्यों बहुत-ही खुश था?? वो ना जाने क्यों उनके साथ जाना चाहता था???

अब हम ये तो नहीं कह सकते कि उतने छोटे-से बच्चे पर भी 'मतदान जागरूकता अभियान' का जादू चल गया होगा... जिससे कई बड़े-बड़े भी अछूते हैं... या फिर दिन-रात 'चुनाव', 'वोट' और 'विज्ञापन' की बातें सुन-सुनकर उसके नाज़ुक से दिल-ओ-दिमाग में भी यही सब घुमने लगा होगा...  वजह चाहे जो भी हो... मगर वो तो अपनी ही दुनिया में मस्त था... कोई नहीं जानता था कि वो मासूम आखिर सोच क्या रहा हैं ???

सारा काम निपटाकर तैयार होकर उसके मम्मी-पापा उसे साथ लेकर चल पड़े 'वोट' डालने... और 'पोलिंग बूथ' पर पहुंचकर बोले--- चलो बेटा, अब हम 'वोट' डालेंगे... और बस वो क्षण आया और रहस्योद्घाटन हुआ उसका, जो अब तक उसके नन्हे-मुन्हें से दिमाग में चल रहा था... वो अपने चेहरे पर बड़े परेशानी के चिन्ह बनाकर अपनी माँ से बोला---'लेकिन यहाँ तो 'पानी' की एक बूंद तक नहीं, फिर आप 'वोट' कहाँ डालोगी ???

अब उन दोनों के ज्ञान चक्षु खुले कि उनका बेटा 'VOTE' को 'BOAT' समझकर खुश हो रहा था... और ना जाने क्या-क्या सोच रहा था... बेचारा अब तक सिर्फ़ पानी में चलने वाली 'बोट' के विषय में जानता था और मन में कल्पना करता रहा होगा कि मम्मी किसी नदी-तालाब में जाकर 'बोट' डालेगी और वो उसमें खूब घूमेगा... मगर बेचारे का सपना टूट गया ।

फिर भी एक बात तो हैं कि भले ही वो इतनी बड़ी बातें नही समझता मगर इसमें भी कहीं एक दर्शन तो छुपा हैं, कहीं इतने सारे देशवासियों के ख़्वाब भी तो ऐसे ही नहीं टूट जायेंगे... वाकई कई जगह पानी वोट डालने का एक मूद्दा हैं... और लोग उसके बिना भी उसकी आस में वोट देते हैं... हमारी सोच तो नाज़ुक नहीं, नादान नहीं... मगर, तकलीफ़ तो उतनी ही होती हैं...हैं ना...  !!!

 इंदु सिंह 

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